संगमी
गुरुवार, २ ऑगस्ट, २०१२
जन्माष्टमी
नटखट नंदलाल गिरिधारी,
बजाते रहते वह बासुरी|
गौमाताकी रक्षा करना,
गोपियों संग नाच नचाना|
चर्चा होती कृष्ण भगवानकी,
हर गाँव-गाँव में, शहर-शहर में|
कभी घर घर से माखन चुराना,
कभी संकट से गाँव को बचना|
उनके आने से खिला है संसार,
उनकी तो लीला अपरंपार|
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