मंगळवार, १३ ऑक्टोबर, २०१५

बारिश


बारिश की वो बूंदे देखो
हरियाली फैलती है|
धरती की सुंदरता
वह और बढ़ाती है|
     बूँद-बूँद से हर डाली
     लहर-लहर लहराती है|
     जैसे अपनी खुशी वो
     हमे बतलाना चाहती है|
बच्चे सारे आकर बाहर
बारिश मे खूब भिगते है|
कागज की नैय्या को वे
थमे पानी मे चलते है|
     यही बूँद जब एक सीप
     मे मिल जाती है|
     देखो-देखो कितना सुंदर
     मोती वह बन जाती है|

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