त्योहारोंका मौसम आता है,
सबके दिलोंमे उत्साह जगाता है।
चाहे हिंदू हो, या हो मुसलमान,
कोई सिख, तो कोई ईसाई
बस एक भावना जगाता है,
आपसमे कभी हम ना करे लडा़ई।
उंच-नीच का नही है संबंध,
न कोई भाषा की मर्यादा है
हर मनुष्य अपनी श्रद्धा से
हर त्योहार मनाता है।
इन त्योहारोंसे ही खिलता है हर आंगन,
जाती, प्रजाती मत रखो ना बंधन।
हर साल के तरह इस साल भी त्योहर मनाते है,
सारी बुराईयोंको और बिमारीयोंको भगाते है।
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