बुधवार, ९ सप्टेंबर, २०२०

कारगिल विजय दिवस


         जन्म भूमि यह, कर्म भूमि यह, 

         ऐसा कोई देश नही,  जो भारत माँ की ले ये जगह। 


        कारगिल के विजय दिवस पर होता है अभिमान, 

        भारतीय नौसेना की मे भी हूँ एक संतान। 


         देश की रक्षा धर्म है मेरा, 

         अपने शौर्य से दुश्मन को दूँ डरा।


         समुंदर की लहरे है पुकारती, 

         जिसकी करु मै सदैव आरती। 


         तिरंगेके रक्षा के खातिर,

         नही कोई लक्ष्मण की लकीर। 


         मै चल पडू,  लहरोंपर हो संवार, 

         चाहे जितने हो मुझपर वार। 


         अभिमान है मुझको,  गर्व नही, 

         नौसैनिक से बढकर दुजा पर्व नही। 


अर्चना दीक्षित 

कोणत्याही टिप्पण्‍या नाहीत:

टिप्पणी पोस्ट करा