निशब्द है मन
निश्चल है मन
आज बस विचलित है मन।
भावुकता से भरा है मन
ऑंखों से ओझल है मन
आज बस अस्थिर है मन।
ठहरा है मन
गहरा है मन
आज बस सुन्न है मन।
झुकता है मन
रुकता है मन
आज बस विरता को नमन।
अर्चना दीक्षित
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