बुधवार, १० मे, २०२३

नमन

निशब्द है मन

निश्चल है मन

आज बस विचलित है मन।


भावुकता से भरा है मन

ऑंखों से ओझल है मन

आज बस अस्थिर है मन।


ठहरा है मन

गहरा है मन

आज बस सुन्न है मन।


झुकता है मन

रुकता है मन

आज बस विरता को नमन।


अर्चना दीक्षित

कोणत्याही टिप्पण्‍या नाहीत:

टिप्पणी पोस्ट करा